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आवारा पशुओं से फसल सुरक्षा का तरीका

आवारा पशुओं से फसल सुरक्षा का तरीका

बुन्देलखण्ड में प्रचलित अन्ना प्रथा उत्तर प्रदेश सरीखे कई प्रदेशों के किसानों के जीका जंजाल बन रही है। इसका कारण बन रहे हैं आवारा गौवंशीय नर। इन्हें यहां सांड के रूप में पहचाना जाता है। यूंतो एक सांड 10 से 12 वर्ष के जीवन काल में तकरीबन तीन लाख का सूखा भूसा खा जाता है। किसानों की फसलों का नुकसान इसमें शामिल नहीं है। इतना ही नहीं यह सांड नगरीय क्षेत्रों में डिवायडर आदि के मध्म जब मस्ती में आते हैं तो भीड़भाड़ वाले इलाकों एवं मंडियों आदि में लोगों के लिए दुर्घटना का कारण भी बन जाते हैं। अनेक लोग इनके आतंक के चलते दुर्घटनाओं का शिकार हो काल कवलित भी हो जाते हैं। खेती में इनसे प्रमुख समस्या फसलों को नुकसान पहुंचाने की है। किसान फसलों को बचाने के लिए मोटा पैसा खर्च कर तार फेंसिंग करा रहे हैं लेकिन भूखे जानवर इन तार और खंभों का भी उखाड़ फेंकते हैं। इससे बचाव के कुछ सामान्य तरीके हैं जिनका प्रयोग कर किसान अपनी फसल को सुरक्षित कर सकते हैंं।

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नीलगाय एवं आवारा पशुओं से फसल सुरक्षा के लिए खेत के आसपास गिरे नीलगाय के गोबर एवं आवारा पशुओं के गोबर का आधा एक से दो किलोग्राम अंश लेकर उसे पानी में घोलकर छान लें। इसमें थोड़े बहुत नीम के पत्ते कूटकर मिला लें। दो  तीन दिन में सड़ने के बाद इसको छानकर खेत में छिड़काव करें। प्रयास करें खेत के चारों तरफ पशुओं के घुसने वाले स्थानों पर गहराई तक छिड़काव हो जाए।  कारण यह होता है अपने मल की गंध आने के कारण पशु उस फसल को नहीं खाते। वह फिर ऐसा खेत तलाशने निकलते हैं जहां ​गंध नहो। इधर नीलगाय अपने खाने के लिए जहां फसलें अच्छी होती हैं। उस इलाके का चयन करती है। उस इलाके तक पहुंचने के लिए वहां हर दिन ताजी गोबर छोड़कर आती है। इसकी गंध के आधार पर ही वह दोबारा उस इलाके तक पहुंचती है। लिहाजा खेतों के आस पास जहां भी नीलगाय का गोबर पड़ा हो उसे एकत्र कर गहरे गड्ढे में दबाने से भी वह रास्ता भटक सकती हैं।

पशुओं को आवारा छोड़ने वालों पर राज्य सरकार करेगी कड़ी कार्रवाही

पशुओं को आवारा छोड़ने वालों पर राज्य सरकार करेगी कड़ी कार्रवाही

योगी सरकार प्रदेश में घूम रहे निराश्रित पशुओं की सुरक्षा के लिए अभियान चलाने जा रही हैं। इसके लिए समस्त जनपदों के अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश में सड़कों पर विचरण कर रहे पशुओं को लेकर अक्सर राजनीति होती रहती है। ऐसी स्थिति में सड़कों पर छुट्टा घूम रहे गोवंश को लेकर राज्य सरकार काफी सख्ताई बरत रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के समस्त जिला अधिकारियों को सड़कों पर घूम रहे निराश्रित गोवंश को गौशालाओं तक पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। उत्तर प्रदेश के पशुधन और दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया है, कि राज्य में यह अभियान चलाकर हम निराश्रित गोवंश का संरक्षण करने के साथ-साथ उन्हें गौशालाओं तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इसके लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं। राज्य सरकार की ओर से गौ संरक्षण करने के लिए यह योजना जारी की गई है।

गोवंश संरक्षण हेतु अभियान का समय

उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह का कहना है, कि इस योजना का प्रथम चरण बरेली, झांसी और गोरखपुर मंडल में 10 सितंबर से 25 सितंबर तक सुनिश्चित किया जाएगा। सड़कों पर विचरण कर रहे गोवंश को गोआश्रय तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा। वहीं, इसके साथ ही उनके खान-पान की भी समुचित व्यवस्था की जाएगी। यह भी पढ़ें: योगी सरकार ने मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना के लिए 75 से 350 करोड़ का बजट तय किया

पशुओं को छुट्टा छोड़ने वालों पर होगी कानूनी कार्रवाई

उत्तर प्रदेश के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने इन जनपद के किसानों एवं पशुपालकों से निवेदन किया है, कि कोई भी पशुओं को सड़कों पर निराश्रित ना छोड़ें। यदि कोई भी शक्श ऐसा करता पाया गया तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने जनपद के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं, कि ऐसे लोगों की पहचान की जाए जो पशुओं को खाली सड़कों पर छोड़ दे रहे हैं। साथ ही, संपूर्ण राज्य में इस अभियान का चरणबद्ध ढ़ंग से प्रचार-प्रसार किया जाए। सरकार स्थानीय प्रशासन, मनरेगा एवं पंचायती राज विभाग के सहयोग से समस्त जनपदों में गोआश्रय स्थल बनवाएगी और पहले से मौजूद गौशालाओं की क्षमता का विस्तार भी किया जाऐगा। यह भी पढ़ें: योगी सरकार द्वारा जारी की गई नंदिनी कृषक बीमा योजना से देशी प्रजातियों की गायों को प्रोत्साहन मिलेगा

मवेशियों की ईयर टैगिंग की जाऐगी

पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया है, कि ग्रामीण क्षेत्र के सभी पशुओं का ईयर टैगिंग किया जाएगा। इसकी सहायता से मवेशियों की देखभाल और निगरानी में काफी आसानी होगी। इसके अतिरिक्त सरकार ने बाढ़ प्रभावित जनपदों में पशुओं के लिए पर्याप्त चारा, औषधीय और संक्रामक रोगों से संरक्षण के लिए दवाईयों एवं टीकाकरण की व्यवस्था भी करेगी।
अब किसानों को आवारा जानवरों से मिलेगी निजात, ये सरकार दे रही है खेत की तारबंदी के लिए 60 फीसदी पैसा

अब किसानों को आवारा जानवरों से मिलेगी निजात, ये सरकार दे रही है खेत की तारबंदी के लिए 60 फीसदी पैसा

भारत में इन दिनों आवारा और छुट्टा जानवर किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बने हुए हैं, जिसके कारण किसानों को हर साल नुकसान झेलना पड़ता है। आवारा जानवर किसानों की फसलों को उजाड़ देते हैं, जिससे किसानों के उत्पादन में असर पड़ता है। इसके साथ ही आवारा और छुट्टा जानवरों के अलावा जंगली पशु भी किसानों की फसलों को भरपूर नुकसान पहुंचाते हैं। खेतों में खड़ी फसलों को नीलगाय और अन्य जंगली पशु चौपट कर देते हैं। इन समस्याओं का असर सीधे किसानों की आय पर पड़ता है। इस समस्या का एकमात्र उपाय है, कि किसान अपने खेत में तारबंदी करवा ले। इससे आवारा पशु और जंगली जानवर किसानों के खेत में नहीं पहुंचे, जिससे फसल को सीधा नुकसान नहीं होगा। लेकिन अगर आज के युग की बात करें तो तारबंदी करवाना एक बेहद महंगा सौदा है। जो हर किसान के बस की बात नहीं है। एक बार तारबंदी करवाने में किसानों के लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं। इसलिए किसान इस तरह के उपायों को अपनाने से कतरा रहे हैं। किसानों की इस समस्या को देखते हुए अब राजस्थान सरकार आगे आई है। राजस्थान सरकार ने घोषणा की है, कि राज्य सरकार अपने राज्य के किसानों के लिए तारबंदी करवाने के लिए कुल खर्च का 60 फीसदी पैसा देगी। इसके तहत राजस्थान सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री किसान साथी योजना चलाई है। जिसमें सरकार ने बताया है, कि फसल सुरक्षा मिशन के तहत जानवरों से फसल की सुरक्षा के लिए किसानों को अधिकतम 60 फीसदी अनुदान दिया जाएगा। अगर रुपये की बात करें तो यह अनुदान अधिकतम 48,000 रुपये तक दिया जाएगा।


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इस योजना के अंतर्गत न आने वाले किसानों को भी राजस्थान सरकार तारबंदी के कुल खर्च का 50 फीसदी अनुदान देती है। अगर रुपये की बात करें तो यह आर्थिक मदद अधिकतम 40,000 रुपये तक हो सकती है। सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है, कि इस साल के बजट में सरकार ने तारबंदी के लिए अलग से प्रावधान किया है। नए कृषि बजट में राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन के तहत 35,000 किसानों को अगले 2 साल में अनुदान दिया जाएगा। यह अनुदान 100 करोड़ रुपये का होगा, जिसके अंतर्गत राज्य के खेतों में 25 लाख मीटर की तारबंदी की जाएगी।

अनुदान प्राप्त करने के लिए ये किसान होंगे पात्र

राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन के तहत तारबंदी करवाने के लिए किसान की खुद की कृषि योग्य 1.5 हेक्टेयर भूमि एक ही जगह पर होनी चाहिए। अगर किसान की 1.5 हेक्टेयर भूमि एक ही जगह पर नहीं है, तो 2 या 3 किसान संयुक्त रूप से अपनी 1.5 हेक्टेयर जमीन की तारबंदी करवाने के लिए मिलकर इस योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकते हैं।

अनुदान प्राप्त करने के लिए यहां करें आवेदन

इस योजना के अंतर्गत लाभ उठाने के लिए किसान भाई अपने नजदीकी जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। इसके साथ ही अधिक जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर 18001801551 पर कॉल करके जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके साथ ही किसान भाई राजस्थान किसान साथी पोर्टल पर भी विजिट कर सकते हैं। इस पोर्टल पर राजस्थान सरकार किसान भाइयों से समय-समय पर तारबंदी के लिए आवेदन मांगती रहती है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को अधिकतम 400 मीटर तक की तारबंदी के लिए अनुदान मिल सकता है।
आवारा पशुओं से फसल बचाने के लिए यह राज्य सरकार तारबंदी को दे रही अनुदान

आवारा पशुओं से फसल बचाने के लिए यह राज्य सरकार तारबंदी को दे रही अनुदान

फसलों को निराश्रित पशुओं से बचाना अत्यंत आवश्यक है। राजस्थान सरकार द्वारा तारबंदी कराने के लिए 444 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया है। किसान तारबंदी अनुदान योजना के अंतर्गत करा सकते हैं। आवारा पशु किसानों की फसलों को काफी ज्यादा क्षतिग्रस्त कर देते हैं। जिस खेत में आवारा पशुओं का रैला घुस जाता है, उस खेत की फसल बिल्कुल चौपट हो जाती है। राज्य सरकारों के स्तर से आवारा पशुओं के नियंत्रण हेतु कदम उठाए जाते हैं। हाल ही में राजस्थान सरकार पशुओं से फसलों का बचाव करने के लिए बड़ी कवायद की है। राजस्थान सरकार के इस कदम की किसानों ने खूब तारीफ की है। इससे उनको अच्छी-खासी राहत मिलेगी।

तारबंदी के लिए राजस्थान सरकार दे रही अनुदान

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है, कि खेती का संरक्षण करने के लिए आवश्यक है, कि मवेशियों को खेत में प्रवेश न करने दिया जाए। इसके लिए खेतों के समीप तारबंदी होनी चाहिए। मुख्यमंत्री जी की तरफ से तारबंदी को बढ़ावा देने के लिए अनुदान देने का ऐलान किया है। तारबंदी होने से पशुओं को फिलहाल खेतों में घुसने से रोका जाएगा।

राजस्थान सरकार तारबंदी के लिए करोड़ों का अनुदान दे रही है

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की तरफ से इसकी जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से दी गई है। राजस्थान सरकार द्वारा फसलों का बचाव करने के लिए तारबंदी हेतु स्वीकृति देदी गई है। राज्य सरकार राजस्थान में 4 करोड़ मीटर खेतों की तारबंदी सुनिश्चित कराएगी। लगभग एक लाख कृषकों को इस योजना का फायदा मिलेगा। राज्य सरकार की तरफ से इसके लिए 444.40 करोड़ रुपये का बजट व्यवस्थित किया है।

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तारबंदी के लिए कुछ नियम बनाए हैं

तारबंदी योजना के अंतर्गत राजस्थान सरकार ने अनुसूचित जनजाति के किसान भाइयों के लिए न्यूनतम सीमा 0.50 हेक्टेयर तय की है। सामान्य वर्ग का किसान न्यूनतम सीमा 1.5 हेक्टेयर में तारबंदी करवा सकता है। जो किसान एक ही स्थान पर 1.5 हेकटेयर जमीन रखता है। वहीं, तारबंदी योजना के चलते फायदा उठा सकते हैं। अगर किसान 10 से ज्यादा समूह में तारबंदी करवाना चाहते हैं। तो उनके समूह के पास 5 हेक्टेयर कृषि लायक जमीन होनी चाहिए।

किसानों को कितना अनुदान दिया जाएगा

एक किसान को 400 रनिंग मीटर तक अनुदान दिया जाएगा। हालांकि, इसमें विभिन्न वर्ग निर्धारित किया गया है। लघु और सीमांत कृषकों को 60 फीसद तक अनुदान प्रदान किया जाएगा। साथ ही, सामान्य वर्ग के किसान को 50 फीसद तक अनुदान प्रदान करने का प्रावधान है। किसान भाई योजना का फायदा लेने के लिए कृषि विभाग की ऑनलाइन वेबसाइट पर पंजीकरण करा सकते हैं।